CG News: 463 NHM कर्मियों की बर्खास्तगी से भड़का आंदोलन, अनशन की चेतावनी

CG News: 463 NHM कर्मियों की बर्खास्तगी से भड़का आंदोलन, अनशन की चेतावनी



छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के संविदा कर्मचारियों की हड़ताल ने गुरुवार को 32 दिन पूरे कर लिए. आंदोलन कर रहे कर्मचारियों की मांगों पर सरकार की चुप्पी और अब बालोद जिले में हुई 463 संविदा कर्मियों की बर्खास्तगी ने विवाद को और गहरा कर दिया है. इन कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में नियमित नियुक्ति, ग्रेड पे में सुधार और लंबित वेतन वृद्धि शामिल है.

स्वास्थ्य व्यवस्था पर भारी असर 

लगातार चल रही हड़ताल से शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों की स्वास्थ्य सेवाएं अस्त-व्यस्त हो चुकी हैं. आयुष्मान भारत योजना के तहत चल रहे हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स पर ओपीडी सेवा पूरी तरह से बंद है. जिला अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों की भीड़ तो है, लेकिन स्टाफ की कमी के चलते इलाज प्रभावित हो रहा है. टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं की जांच और बच्चों के पोषण केंद्रों की सेवाएं ठप हैं.

बालोद में प्रशासन ने उठाया सख्त कदम 

बालोद के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. जेएल उइके ने गुरुवार को बड़ा निर्णय लेते हुए 463 संविदा कर्मियों को सेवा से मुक्त करने का आदेश जारी किया. सीएमएचओ का कहना है कि लंबे समय से ड्यूटी से गैरहाजिर रहने और स्वास्थ्य सेवाओं को नुकसान पहुंचाने की वजह से यह फैसला लिया गया है.

कर्मचारी संघ ने किया अनशन का ऐलान 

इस बर्खास्तगी के आदेश से नाराज बालोद एनएचएम कर्मचारी संघ ने तत्काल प्रतिक्रिया दी है. संघ ने घोषणा की है कि वे 19 सितंबर सुबह 10 बजे से 20 सितंबर तक बालोद बस स्टैंड पर अनशन करेंगे. कर्मचारी नेताओं का कहना है कि यह आदेश अन्यायपूर्ण है और सरकार संवाद के बजाय दबाव की नीति अपना रही है.

NHM कर्मचारी संघ के मीडिया प्रभारी चंदन गिरी का कहना है कि सरकार मौखिक रूप से कुछ मांगों को मानने की बात कर रही है, लेकिन जब तक लिखित आदेश नहीं आता, तब तक आंदोलन समाप्त नहीं होगा. उन्होंने यह भी कहा कि संविदा कर्मचारियों को वर्षों से आश्वासन मिल रहा है, लेकिन ठोस निर्णय अब तक नहीं लिया गया है.

प्रदेशभर में बिगड़ी हालात 

राज्यभर में करीब 16,000 NHM कर्मचारी हड़ताल पर हैं. इसका असर न सिर्फ अस्पतालों में दिख रहा है बल्कि समुदाय स्तर पर चल रही सेवाएं जैसे टीबी नियंत्रण, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, वृद्धजनों की स्क्रीनिंग आदि भी रुक गई हैं. इससे न केवल आम नागरिकों की सेहत पर असर पड़ा है, बल्कि स्वास्थ्य विभाग की योजनाएं भी ठप हो गई हैं.

नजरें अब सरकार पर 

बालोद की यह बर्खास्तगी और कर्मचारी संघ का कड़ा विरोध अब राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. यदि जल्द समाधान नहीं हुआ तो यह मामला राज्यव्यापी जन आंदोलन का रूप ले सकता है. सभी की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि क्या सरकार कर्मचारियों से बात कर समाधान निकालेगी या हालात और बिगड़ेंगे.


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