40 साल से अधिक उम्र वालों को कब्ज, पाइल्स और रीढ़ से जुडी बीमारियां हो रही
बिलासपुर। शहरों और कस्बों में आधुनिकता की ओर बढ़ते हुए लोग अब देसी टॉयलेट की जगह वेस्टर्न कमोड का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि, इस सुविधा का लंबा समय तक उपयोग स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है। विशेष रूप से 40 साल से ऊपर की उम्र वाले लोगों में कब्ज, बवासीर (पाइल्स), प्रोस्टेट और रीढ़ की बीमारियों के मामलों में तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि कमोड का इस्तेमाल इन समस्याओं का एक प्रमुख कारण बन रहा है। शहर के 70 प्रतिशत से ज्यादा घरों में वेस्टर्न कमोड का प्रयोग हो रहा है, और इसके साथ ही कब्ज, पाइल्स और प्रोस्टेट जैसी बीमारियों के मरीजों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है।
स्वास्थ्य पर कमोड का असर पड़ रहा
कमोड का लगातार उपयोग आंतों के पूरी तरह खाली न होने, गैस, पाइल्स, और फिशर जैसी समस्याओं को जन्म देता है। इसके अलावा, लंबे समय तक कमोड पर बैठने से रीढ़ की हड्डी और घुटनों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है, जिससे इन हिस्सों में दर्द और समस्या बढ़ती है। पाचन प्रक्रिया भी धीमी हो जाती है, जो पेट की समस्याओं को और बढ़ा देती है।
डॉक्टरों दे रहे यह सलाह
पिछले कुछ वर्षों में चिकित्सकों ने देखा है कि 40 वर्ष से ऊपर के लोग इस बदलाव से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। इस समस्या से बचने के लिए विशेषज्ञों ने देसी टॉयलेट के इस्तेमाल की सलाह दी है। देसी टॉयलेट न केवल कब्ज और पाइल्स से बचाता है, बल्कि यह मांसपेशियों के नैचुरल व्यायाम के रूप में काम करता है। इसके अलावा, यह रीढ़ और जोड़ों पर दबाव नहीं डालता और संक्रमण का खतरा भी कम करता है।
मरीजों ने बताई अपनी समस्या
व्यापार विहार निवासी 50 वर्षीय सुरेश सिंह ने बताया कि कमोड का इस्तेमाल शुरू करने के बाद उन्हें कब्ज और घुटनों में दर्द की समस्या बढ़ गई। डॉक्टरों की सलाह पर उन्होंने देसी टॉयलेट का इस्तेमाल शुरू किया और धीरे-धीरे आराम मिला। वहीं, सरकंडा निवासी 45 वर्षीय ओमप्रकाश साहू का कहना है कि अगर उन्होंने पहले देसी टॉयलेट का इस्तेमाल किया होता, तो उन्हें पाइल्स की समस्या से बचाव हो सकता था।
एक्सपर्ट से समझे
सीनियर अस्थिरोग विशेषज्ञ का कहना है, "कमोड का लगातार उपयोग आंत, प्रोस्टेट और हड्डियों की बीमारियों को बढ़ा रहा है। यदि कमोड का उपयोग जरूरी हो, तो एक छोटा स्टूल पैरों के नीचे रखकर स्क्वाटिंग मुद्रा में बैठना चाहिए। इससे आंतों पर दबाव सही तरीके से पड़ता है और पाचन क्रिया को राहत मिलती है।

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