धर्मांतरण न्यूज़: 11 साल में 454 हिंदुओं को बनाया ईसाई, मिलती थी स्पेशल सुविधा, कन्वर्ट करने इतने का टारगेट...

गंगानगर में मिशनरी गिरोह का खुलासा, पैसे, सुविधाएं और प्रलोभन के ज़रिए धर्म बदलवाने का आरोप


राजस्थान. राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक संगठित धर्मांतरण गिरोह का खुलासा हुआ है। पुलिस ने इस मामले में झारखंड निवासी एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जिस पर पिछले 11 वर्षों में 454 लोगों का ईसाई धर्म में जबरन या प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने का आरोप है।

यह मामला जिले के अनूपगढ़ थाना क्षेत्र से जुड़ा है। यहां वार्ड क्रमांक 14 के निवासी संदीप नामक युवक ने आरोप लगाया कि उसे धर्म बदलने के लिए मानसिक दबाव डाला गया और एक षड्यंत्र के तहत एक व्यक्ति पाउसुल बारजो से मिलवाया गया। पीड़ित ने बताया कि उसे झाड़ियों के बीच नदी किनारे ले जाकर जबरन डुबकी दिलाकर ईसाई धर्म की दीक्षा दी गई।

शिकायत पर हरकत में आई पुलिस, झारखंड से हुई गिरफ्तारी

संदीप द्वारा थाना और विश्व हिंदू परिषद (VHP) को दी गई शिकायत के आधार पर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी पाउसुल बारजो को झारखंड से गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में उसने कबूल किया कि वह लंबे समय से ईसाई धर्म प्रचार से जुड़ा है और "फ्रेंडस मिशनरी प्रेयर बैंड" नामक संगठन के लिए काम करता था।

टारगेट तय, वेतन और सुविधाओं का प्रलोभन

आरोपी ने पुलिस को बताया कि वह वर्ष 1993 में ईसाई बना और 2003 से मिशनरी संगठन से सक्रिय रूप से जुड़ गया। उसे हर साल कम से कम 20 लोगों का धर्मांतरण कराने का लक्ष्य दिया जाता था। इसके बदले में 9,000 मासिक वेतन, यात्रा खर्च, बच्चों की स्कूल फीस, चिकित्सा और अन्य सुविधाएं दी जाती थीं।

धर्मांतरण के लिए चर्च निर्माण और नेटवर्किंग

जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपी और उसके साथियों ने क्षेत्र में स्थायी रूप से गतिविधियों को फैलाने के लिए एक चर्च का निर्माण भी करा लिया था। यह कार्य सुनियोजित ढंग से किया जा रहा था, और इसमें कई अन्य लोग भी शामिल हैं, जिनकी तलाश पुलिस कर रही है।

454 धर्मांतरण की पुष्टि, रजिस्टर से मिले नाम

गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने आरोपी के पास से एक विस्तृत रजिस्टर भी बरामद किया है, जिसमें उन 454 लोगों के नाम दर्ज हैं जिन्होंने ईसाई धर्म स्वीकार किया था। पुलिस अब इन नामों की सत्यता की जांच कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इनमें से कितने धर्मांतरण स्वेच्छा से और कितने किसी दबाव या लालच में आकर किए गए।

आस्था पर चोट या व्यक्तिगत स्वतंत्रता?

यह मामला सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी गंभीर बहस को जन्म दे रहा है। एक ओर धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है, तो दूसरी ओर धर्मांतरण के पीछे छिपी जबरदस्ती, छल और लालच की सच्चाई भी है।

जांच जारी, और गिरफ्तारियां संभव

पुलिस का कहना है कि यह केवल शुरुआत है और इस पूरे रैकेट में और भी लोग शामिल हो सकते हैं। पूछताछ और बरामद दस्तावेजों के आधार पर आने वाले दिनों में अधिक गिरफ्तारियां संभव हैं।

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