CG News: छत्तीसगढ़ में मिल सकता है खजाना! इस जगह का सैंपल भेजा गया अमेरिका, जल्द होगा खुलासा

 जगह का सैंपल गया अमेरिका, भारत में सिर्फ दो जगह होता है ऐसा जाँच



रायपुर। रीवा जिले में चल रही पुरातात्विक खुदाई को लेकर एक महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। खुदाई के दौरान मिले कोयले (चारकोल) के तीन सैंपल अब कार्बन डेटिंग के लिए अमेरिका की एक अत्याधुनिक प्रयोगशाला भेजे गए हैं। यह जांच मौर्य और कल्चुरी काल के बीच के ऐतिहासिक अवशेषों की वास्तविक तिथि तय करने में मदद करेगी।

इतिहास की गहराइयों में झांकने की कोशिश

रीवा में पिछले कुछ समय से चल रही खुदाई में प्राचीन सिक्के, स्तूप, कुएं और अन्य पुरावशेष सामने आए हैं। हालांकि अब तक इनकी तिथि का निर्धारण सिर्फ लिपि और कला-शैली के आधार पर अनुमान से किया जा रहा था, जिसमें लगभग 100 से 200 वर्षों का अंतर संभव रहता है। लेकिन अब अमेरिका भेजे गए चारकोल सैंपल से पहली बार इन अवशेषों की सटीक कालावधि का पता लगाया जाएगा।



विदेश भेजने की मजबूरी

पुरातत्व विभाग के उप संचालक पी.सी. पारख ने जानकारी दी कि देश में इस तरह की कार्बन डेटिंग सुविधा सिर्फ दो ही जगह – औरंगाबाद और लखनऊ – में उपलब्ध है। विभाग ने पहले लखनऊ की प्रयोगशाला से संपर्क किया, लेकिन कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। औरंगाबाद से भी प्रक्रिया काफी लंबी बताई गई, जिसमें 6 महीने तक इंतजार करना पड़ता। ऐसे में, समय बचाने और विश्वसनीय परिणाम के लिए अमेरिका की प्रयोगशाला को प्राथमिकता दी गई।

तीन सैंपल के 1.80 लाख रुपये की लागत

करीब सौ ग्राम के तीन सैंपल को अलग-अलग पैक कर विशेष व्यवस्था के तहत अमेरिका भेजा गया है। एक सैंपल की जांच पर लगभग 60 हजार रुपये खर्च आया है, जबकि कुल मिलाकर इस जांच पर 1.80 लाख रुपये की लागत आई है। नमूने दिल्ली और दुबई होते हुए अमेरिका पहुंचे हैं, जिसके लिए अतिरिक्त 4500 रुपये का शिपिंग चार्ज भी खर्च हुआ।

वैज्ञानिक विधि से होगा परीक्षण

कार्बन डेटिंग की यह प्रक्रिया पूरी तरह से रसायन आधारित और वैज्ञानिक पद्धति से की जाती है। इसमें पुरातात्विक अवशेषों में मौजूद रेडियोकार्बन तत्वों की मात्रा के आधार पर यह निर्धारित किया जाता है कि वह वस्तु कितनी पुरानी है। हजारों वर्षों में पेड़-पौधों से बना चारकोल इस परीक्षण का अहम आधार बनता है।


क्या मिल सकता है नया ऐतिहासिक दर्जा?

यदि रिपोर्ट में यह साबित होता है कि रीवा के अवशेष अपेक्षा से अधिक प्राचीन हैं, तो यह स्थान राष्ट्रीय स्तर पर और भी अधिक महत्व का बन सकता है। ऐसी स्थिति में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) इसे अपनी निगरानी में ले सकता है।

अब सबकी नजरें रिपोर्ट पर

अमेरिका की प्रयोगशाला से रिपोर्ट इसी महीने के अंत तक मिलने की संभावना है। इतिहास और पुरातत्व में रुचि रखने वालों के लिए यह रिपोर्ट कई नए रहस्य खोल सकती है।

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