CG Raipur Day Bhavan: रायपुर से मिली ऊर्जा से विवेकानंद ने दिया था पहला भाषण, दुनियाभर में गूंजी भारत की आध्यात्मिक आवाज, पढ़िए पूरी जानकारी

 

CG Raipur Day Bhavan: रायपुर से मिली ऊर्जा से विवेकानंद ने दिया था पहला भाषण, दुनियाभर में गूंजी भारत की आध्यात्मिक आवाज, पढ़िए पूरी जानकारी



11 सितंबर 1893 को स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका के शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद में वह ऐतिहासिक भाषण दिया, जिसने न केवल भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक गरिमा को विश्व मंच पर स्थापित किया, बल्कि भारतीय दर्शन की सार्वभौमिक सहिष्णुता को दुनिया के सामने रखा। बहुत कम लोग जानते हैं कि इस गहन चिंतन और आध्यात्मिक दृष्टिकोण की नींव रायपुर की धरती पर रखी गई थी।

पिता की वकालत के सिलसिले में पहुंचे थे रायपुर
स्वामी विवेकानंद का असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त कोलकाता के एक प्रतिष्ठित वकील थे। वकालत के कार्य से वे रायपुर आए और नगर पालिका अध्यक्ष के घर छह माह तक ठहरे। कुछ समय बाद कोलकाता से उनका पूरा परिवार रायपुर आ गया और लगभग दो वर्षों तक यहां निवास किया। इस दौरान नरेंद्रनाथ ने रायपुर की सामाजिक और सांस्कृतिक छवि को आत्मसात किया।

रायपुर में चिंतन और आत्मिक ऊर्जा का संचार
रायपुर प्रवास के दौरान नरेंद्रनाथ ने हिंदी सीखी, नगर भ्रमण किया और बूढ़ा तालाब (अब स्वामी विवेकानंद सरोवर) में स्नान और ध्यान किया करते थे। यही वह समय था जब उनमें आत्मिक ऊर्जा का बीजारोपण हुआ। इतिहासकार रमेंद्र नाथ मिश्र बताते हैं कि रायपुर का यह कालखंड विवेकानंद के भीतर गहरे आध्यात्मिक भावों का संचार करने वाला साबित हुआ।

डे भवनकी पहचान और स्मारक की मांग
इतिहासकार मिश्रा ने बताया कि स्वामी विवेकानंद जिस घर में ठहरे थे, उसे 'डे भवन' के नाम से जाना जाता है। उन्होंने वर्षों की मेहनत से इस भवन की पहचान की और इसे ऐतिहासिक स्मारक घोषित करने के लिए तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा। 2023 में सरकार ने इसकी घोषणा भी की, लेकिन आज तक स्मारक का निर्माण नहीं हो पाया।

रायपुर में विवेकानंद की विरासत
आज रायपुर में स्वामी विवेकानंद की स्मृतियां अनेक रूपों में जीवित हैं। बूढ़ा तालाब को 'स्वामी विवेकानंद सरोवर' का नाम दिया गया है और इसके बीचोंबीच उनकी ध्यानमग्न प्रतिमा स्थापित की गई है। रायपुर एयरपोर्ट भी उनके नाम पर है। रामकृष्ण मिशन आश्रम में हर वर्ष उनकी जयंती पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

विश्व मंच पर भारत की आत्मा का प्रतिनिधित्व
रायपुर में बिताए गए दो वर्षों ने नरेंद्रनाथ को वह आध्यात्मिक दृष्टि दी, जिसने उन्हें आगे चलकर स्वामी विवेकानंद बनाया। उन्होंने भारत की आत्मा को न केवल पहचाना, बल्कि उसे पूरे विश्व के सामने गौरव से प्रस्तुत भी किया। रायपुर इस यात्रा का वह मौन साक्षी है, जिसने भारत के एक महान संत को गढ़ा।

 

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