CG News: ये कैसी पुलिसिंग, इसे दबाव कहे या मिलीभगत? आम जनता पर कार्रवाई, रसूखदारों पर खामोशी!

ये कैसी पुलिसिंग, इसे दबाव कहे या मिलीभगत? आम जनता पर कार्रवाई, रसूखदारों पर खामोशी!



रायपुर। राजधानी में कानून व्यवस्था को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। ठगी से लेकर ड्रग्स और सट्टा कारोबार तक—हर गंभीर अपराध में  आम लोगों पर सख्त कार्रवाई, लेकिन प्रभावशाली और रसूखदार चेहरों को खुली छूट।

पिछले कुछ महीनों में सामने आए मामलों की पड़ताल करें तो साफ होता है कि पुलिस नीचे के स्तर के आरोपियों को गिरफ्तार कर मामले की इतिश्री कर रही है, जबकि बड़े चेहरों के नाम सामने आने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही।

ड्रग्स सिंडीकेट में नाम सामने आए, लेकिन कार्रवाई नहीं

ड्रग्स मामले में एमडीएमए बेचने के आरोप में हर्ष आहुजा, मोनू विश्नोई और दीप धनोरिया को गिरफ्तार किया गया। इनसे पूछताछ में एक बड़ा नेटवर्क उजागर हुआ, जिसमें कई प्रभावशाली परिवारों के बेटे-बेटियां, पार्टी आयोजक और कारोबारी जुड़े हुए थे।

पुलिस ने कुछ नाम जैसे नव्या मलिक, अयान परेवज, विधि अग्रवाल, ऋषिराज टंडन, सोहेल खान और जुनैत अख्तर पर हाथ जरूर डाला, लेकिन **850 से अधिक युवक-युवतियों की सूची सामने आने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इनमें एक विधायक के परिजन और नामी कारोबारी घरानों के रिश्तेदारों के नाम भी शामिल हैं।

ठगी के मामलों में रसूखदारों को राहत

15 करोड़ से शुरू हुआ ठगी का मामला जब 441 करोड़ की गड़बड़ी तक पहुंचा, तब पुलिस ने केके श्रीवास्तव और उनके बेटे कंचन श्रीवास्तव पर केस दर्ज किया। केके को तो जेल भेजा गया, लेकिन कंचन अब तक पुलिस की पकड़ से बाहर है। 

इसी तरह यूथ कांग्रेस से जुड़े गोपाल कश्यप और आशीष शिंदे के खिलाफ भी केस तो हुआ, लेकिन केवल आशीष की गिरफ्तारी हुई।

सट्टा और गुंडागर्दी में भी दोहरा मापदंड

महादेव सट्टा ऐप से जुड़े एक मामले में प्रमोटर सौरभ चंद्राकर के रिश्तेदार पुलकित ने एक युवक की सरेआम पिटाई कर दी। बावजूद इसके अब तक उसकी गिरफ्तारी नहीं हुई।

इसी तरह मोमिनपारा इलाके में एक बंद पड़े जुआ अड्डे के फिर से सक्रिय होने की सूचना है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं। जबकि आम लोगों के छोटे जुआ-सट्टे प तत्काल छापे मारे जाते हैं।

हिस्ट्रीशीटर को अबतक गिरफ्तार नहीं कर पाई पुलिस

कोतवाली इलाके में हिस्ट्रीशीटर मोनिका सचदेव और मोनू सचदेव द्वारा एक युवक पर जानलेवा हमला किया गया, लेकिन पुलिस अब तक उन्हें गिरफ्तार नहीं कर पाई है।

सूदखोरी के मामलों में भी पुलिस का रवैया सवालों के घेरे में है। वीरेंद्र सिंह तोमर उर्फ रूबी और रोहित सिंह तोमर की तीन महीने से तलाश जारी है, लेकिन दोनों फरार हैं।

पेट्रोल-डीजल चोरी में भी ‘बड़े’ अछूते

तेलीबांधा इलाके में दो यार्ड से टैंकरों के जरिए पेट्रोल-डीजल चोरी का भंडाफोड़ हुआ। गिरोह के 9 सदस्य गिरफ्तार हुए, लेकिन मुख्य संचालक सूरज साव और उमेश शाह** पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। इनसे जुड़े कबाड़ी अर्जुन की भूमिका की भी जांच नहीं की गई।

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