राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था चरमराई, आईआईटी भिलाई की रिपोर्ट में कई चौकाने वाला खुलासा, जानकर रह जाएंगे दंग
आईआईटी भिलाई की रिपोर्ट में चौकाने वाले खुलासा: रायपुर में हर दिन कट रहे 1.2 लाख ई-चालान, जमा नहीं हो रहे 0.1% भी
रायपुर। देश के स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम की वास्तविक स्थिति बेहद चिंताजनक है। IIT भिलाई द्वारा केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय को सौंपी गई एक विस्तृत मूल्यांकन रिपोर्ट में हर दिन औसतन 1.2 लाख ई-चालान जारी होने का आंकड़ा सामने आया है। लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि इन चालानों में से बमुश्किल 0.1 प्रतिशत चालान ही जमा हो रहे हैं।
तकनीक है, लेकिन उसका इस्तेमाल अधूरा
IIT भिलाई को देश के 100 स्मार्ट शहरों के ट्रैफिक इंफ्रास्ट्रक्चर का ऑडिट करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। रायपुर में मूल्यांकन के दौरान सामने आया कि शहर में 549 ट्रैफिक कैमरे लगाए गए हैं, जिनमें से सिर्फ 69 कैमरे पैन-टिल्ट-ज़ूम (PTZ) फीचर वाले हैं, बाकी कैमरे स्थाई हैं और सीमित क्षेत्र में ही निगरानी कर सकते हैं।
रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि ट्रैफिक कमांड एंड कंट्रोल सेंटर में स्टाफ की भारी कमी है। यही वजह है कि आईटीएमएस (Intelligent Traffic Management System) जैसी उन्नत तकनीक पूरी तरह से प्रभावी नहीं हो पा रही है।
लोगों में जागरूकता की भारी कमी
सर्वेक्षण के दौरान IIT की टीम ने शहर के प्रमुख स्थानों पर नागरिकों से बातचीत की। तेलीबांधा क्षेत्र में पुलिस द्वारा लगाए गए SOS पैनिक बटन के बारे में जब जानकारी ली गई, तो अधिकांश नागरिकों को इस सुविधा की जानकारी ही नहीं थी। यह बटन आपात स्थिति में तुरंत कंट्रोल रूम को अलर्ट भेजता है, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार, अब तक इसका एक बार भी उपयोग नहीं हुआ है।
सिग्नल टाइमिंग में भी अनियमितता
IIT भिलाई द्वारा किए गए ट्रैफिक लाइट एनालिसिस में यह बात सामने आई कि कई ऐसे चौराहे हैं, जहां कम ट्रैफिक दबाव के बावजूद 60 सेकंड की रेडलाइट चालू रहती है। रिपोर्ट में इसे अकारण प्रतीक्षा समय बताया गया है और AI-आधारित ट्रैफिक सिग्नल मैनेजमेंट सिस्टम की सिफारिश की गई है, जो ट्रैफिक के दबाव के अनुसार सिग्नल टाइमिंग को स्वचालित रूप से समायोजित करेगा।
रिपोर्ट में सुझाए गए व्यावहारिक समाधान
पवन ऊर्जा से चौक-चौराहों की रौशनी:
प्रोफेसर जोस इमेनुअल की अगुवाई में तैयार इस रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि शहर के ट्रैफिक पॉइंट्स पर माइक्रो विंड टर्बाइन्स (छोटी पवन चक्कियां) लगाई जाएं। गाड़ियों की तेज रफ्तार से बनने वाली हवा इन चक्कियों को घुमाएगी, जिससे स्थानीय स्ट्रीट लाइटिंग के लिए आवश्यक ऊर्जा मिल सकेगी। यह मॉडल कम लागत में, स्थायी समाधान हो सकता है।
AI-ML आधारित मल्टीलेवल पार्किंग सिस्टम
बारिश के दौरान मल्टीलेवल पार्किंग की लिफ्ट में जलभराव पाया गया, जो डिज़ाइन की खामियों को दर्शाता है। इसके स्थान पर IIT ने AI और मशीन लर्निंग आधारित स्वचालित पार्किंग टावर विकसित करने की सलाह दी है, जो न केवल ज़्यादा वाहनों को संभाल सकते हैं, बल्कि मानव संसाधन की जरूरत भी घटाते हैं। इस मॉडल को ईटानगर में पहले ही लागू किया जा चुका है।
सिटी बस और BSS पर जोर:
शहर में ट्रैफिक दबाव को कम करने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया गया है। रिपोर्ट में सिटी बसों की संख्या बढ़ाने और बाइसिकल शेयरिंग सिस्टम (BSS) के लिए डॉकिंग स्टेशन विकसित करने की सिफारिश की गई है, जिससे अंतिम मील कनेक्टिविटी सुलभ हो सके।
AI से जुड़ा पब्लिक ट्रांसपोर्ट डेटा
IIT भिलाई ने सुझाव दिया है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट को रियल टाइम ट्रैफिक डेटा, जैसे बस की लोकेशन, यात्री संख्या और रूट जानकारी के साथ जोड़ा जाए। इससे यातायात व्यवस्था अधिक उत्तरदायी और यात्री केंद्रित बन सकेगी।
सकारात्मक पहलू भी सामने आए
हालांकि रिपोर्ट में व्यवस्थागत खामियों की तरफ इशारा किया गया है, पर कुछ सकारात्मक परिणाम भी दर्ज किए गए हैं।
* आईटीएमएस लागू होने के बाद से अब तक 3,000 से अधिक ट्रैफिक अपराधों में कमी आई है।
* एयरपोर्ट से शहर तक आने-जाने में लगने वाला समय 25% तक घटा है।


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