छत्तीसगढ़ में डिजिटल शिक्षा बदहाल, सिर्फ 27% स्कूलों में स्मार्ट क्लास, कंप्यूटर शिक्षा अब भी सपना
रायपुर। डिजिटल युग में जब शिक्षा प्रणाली को तकनीक से जोड़ने की बात हो रही है, ऐसे में छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूल अब भी बुनियादी डिजिटल सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं। प्रदेश में लगभग 38 हजार सरकारी स्कूलों में से केवल 27% यानी 10,664 स्कूलों में ही स्मार्ट क्लासरूम की सुविधा उपलब्ध है। यह आंकड़ा राष्ट्रीय औसत 28% से भी कम है, जिससे राज्य की शिक्षा व्यवस्था की डिजिटल तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
घोषणाएं बड़ी, पर हकीकत फीकी
हाल ही में प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव ने 9,000 नए स्मार्ट क्लास और 22,000 कंप्यूटर लगाने की घोषणा की थी। उद्देश्य था कि विद्यार्थियों को डिजिटल कंटेंट, ई-लर्निंग और इंटरैक्टिव लर्निंग जैसे आधुनिक संसाधनों से जोड़ा जाए। लेकिन ज़मीनी सच्चाई यह है कि अभी तक केवल 6095 स्कूलों में कंप्यूटर उपलब्ध हैं और डिजिटल लाइब्रेरी महज़ 394 स्कूलों में ही संचालित हो रही है।
डिजिटल संसाधन उपलब्ध स्कूलों की संख्या
| स्मार्ट क्लासरूम 10,664
| कंप्यूटर सिस्टम 6,095
| प्रोजेक्टर 6,386
| टीचिंग लर्निंग डिवाइस 1,018
| डिजिटल लाइब्रेरी 394
युक्तियुक्तकरण के बाद भी नहीं सुधरी हालत
स्कूलों के युक्तियुक्तकरण के तहत लगभग 10,463 स्कूलों को मिलाकर स्कूलों की कुल संख्या घटाकर 38,364 कर दी गई है। इस कवायद का उद्देश्य था संसाधनों का समुचित उपयोग और शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करना। लेकिन स्मार्ट क्लास और कंप्यूटर जैसी सुविधाएं अब भी बहुत कम स्कूलों में हैं।
छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ के नरेंद्र सिंह ठाकुर के अनुसार, "एकल-शिक्षकीय स्कूलों की संख्या में तो कमी आई है, लेकिन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश और त्वरित क्रियान्वयन की जरूरत है।
जानिए, एक्सपर्ट क्या कह रहे
विशेषज्ञों का मानना है कि स्मार्ट क्लासरूम और डिजिटल संसाधन केवल पढ़ाई को रोचक ही नहीं बनाते, बल्कि विद्यार्थियों की समझ और विषय पर पकड़ भी मजबूत करते हैं। डिजिटल कंटेंट से जुड़ने वाले छात्र वैश्विक ज्ञान से भी परिचित होते हैं और तकनीकी दक्षता में भी आगे बढ़ते हैं।

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