CG News: जल जीवन मिशन में लापरवाही, आधे से ज्यादा गांव अब भी प्यासे, पीएचई विभाग बचा रहा ठेकेदारों को

जल जीवन मिशन में लापरवाही, आधे से ज्यादा गांव अब भी प्यासे, पीएचई विभाग बचा रहा ठेकेदारों को



रायपुर। रायपुर जिले के ग्रामीण इलाकों में नल-जल पहुंचाने के लिए सरकार द्वारा शुरू किए गए जल जीवन मिशन की हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। जिले के 477 गांवों में से आधे से भी कम में योजना का कार्य पूरा हो पाया है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण ठेकेदारों की लापरवाही और विभाग की सुस्त कार्यप्रणाली बताई जा रही है।

सूत्रों के मुताबिक, 100 से ज्यादा गांवों में ठेकेदारों ने काम अधूरा छोड़ दिया है। इसके बावजूद विभाग द्वारा सिर्फ नाम मात्र की कार्रवाई करते हुए छह ठेकेदारों के वर्क ऑर्डर ही निरस्त किए गए हैं, जबकि इन्हें ब्लैकलिस्ट किया जाना था।

सामान्य सभा में उठा मामला

यह मुद्दा हाल ही में जिला पंचायत की सामान्य सभा की बैठक में गर्माया, जहां सदस्यों ने पीएचई विभाग पर सवालों की बौछार कर दी। सदस्यों का आरोप था कि विभाग के अधिकारी काम की गलत रिपोर्टिंग कर रहे हैं। विभाग के मुताबिक, 294 गांवों में कार्य पूरा हो चुका है, लेकिन हकीकत में यह संख्या 200 से भी कम है।

इन ठेकेदारों पर हुई सीमित कार्रवाई

जिन छह ठेकेदारों के वर्क ऑर्डर रद्द किए गए हैं, उनमें रायपुर की मेसर्स रेखा भुटे (पलौद), मेसर्स अंबे कंस्ट्रक्शन (छपोरा व अमसेना), मेसर्स शर्मा कंस्ट्रक्शन (मुरेठी), मेसर्स विनोद अग्रवाल (नरदगा), और मेसर्स अग्रवाल टाइल्स (धनसुली) शामिल हैं।

विभाग पर पक्षपात का आरोप

विभाग के रवैये पर भी सवाल उठ रहे हैं। आरोप है कि जिन ठेकेदारों ने तय समय में काम पूरा नहीं किया, उन्हें समय पर भुगतान न कर विभाग ने खुद भी काम की रफ्तार धीमी की। इसके बावजूद ब्लैकलिस्ट करने जैसी सख्त कार्रवाई टाल दी गई।

क्या कहता है जल जीवन मिशन?

जल जीवन मिशन का उद्देश्य हर ग्रामीण घर तक नल के जरिए स्वच्छ पेयजल पहुंचाना है। लेकिन मौजूदा हालात इस बात की ओर इशारा करते हैं कि मिशन अपने लक्ष्य से काफी पीछे चल रहा है।

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